ऐसे ही tv देख रहा था तो यह सामने आया जैसे कुवारों को संतान सुख बताने वाली #राशि होती है और लोग मानते भी है और अखबार वाले छापते है और tv वाले दिखाते हैं।ठीक वैसे ही अधिकमास में यदि कोई जन्मे तो उसका क्या होगा वो यह बाबाजी बता रहे थे ।
मेने कही पहले पढ़ रखा था इसके पीछे की वजह अलग है जबकि यह जो बता रहा है वो अलग
सौर वर्ष और चांद्र वर्ष में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चान्द्रमास की वृद्धि कर दी जाती है। इसी #अधिकमास या अधिमास या मलमास कहते हैं।
अग्रेजी कलैडर मे 365 दिन होते है जबकी विक्रम संवत् कैलेडर 354 दिन का इस लीए तीन साल मे एक महिना बढ जाता है उसको बराबरी करने के लीए ही तेरूङी आती है विक्रम संवत कैलेंडर में इसके अलावा कोई कारण नही है ।
एक दिन मेने पाया कि जिन महिलाओं के लडकिया ज्यादा होती है मतलब 2 या 3 या 7 लडकिया के बात लड़का नही होता है तो वो इस तेरुड़ी मे यदि दान करे तो उसके लड़का होगा । जब मैने यह देखा तो मेने कहा ऐसे कैसे होगा । वो तो जब बच्चा गर्भ में होता है और जब लिंग का निर्धारण होता है तब तय होता है कि लड़का होगा या लड़की या कुछ तीसरे जेंडर भी हो सकता है पर......
लोगो ने भगवान से जुड़ने का माध्यम बनाया लिया है तो यही होगा । मुझे तो भगवान उस दीन, दुखी ,गरीब ,विकलांग, अबोध, में नजर आता है उसकी कोई सहायता हो जाये तो बेहतर होता है ।
पर लोग परिवार के सदस्यों या आस पास के लोगो को खुश करने से ज्यादा भगवान ,अल्लाह ,गॉड ,प्रवर्दीकार को खुश करने में लगा है । इसके लिये वह तरह तरह के जतन करता है कभी कुछ कभी कुछ ।
किसी ने मुझसे कहा कि अनिल अंबानी भी तो पूजा पाठ करता है तो मैने कहा कि उसके पीछे कारण है कि उसकी रिलायंस कम्पनी ऐसे चलेगी नही
दुनिया मे अनेको धर्म है सबके अपने अपने राग है कोई धरती को साकिन यानी चपटी बताता है तो कोई नाग के फन पर टिकी हुई तो कोई कुछ औऱ सबने अपने अपने हिसाब से व्यख्या कर रखी है ।
इसलिय हमेशा निर्भय रहे । हर बीमारी या हर दवा का इलाज भगवान ,भोपा ,मौलवियो ,बाबोओ के पास खोजना बन्द करे । खुद की समस्या खुद से हल होगी न किसी और से
इसलिये गौतम बुद्ध ने आदमी के दुखों का कारण अविद्या और अज्ञान को बताया है जब तक अज्ञान रहेगा हर कोई ठग लेगा