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शनिवार, 11 जुलाई 2020

Nepal में दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय न्यूज चैनल बंद, जानें क्या है कारण

नेपाल ने दूरदर्शन को छोड़कर अन्य सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण बंद करते हुए आरोप लगाया कि वो ऐसी खबरें दिखा रहे हैं जिससे देश की राष्ट्रीय भावनाएं आहत हो रही हैं.


भारत के साथ जारी तनातनी के बीच नेपाल में केबल ऑपरेटर्स ने अपने देश में सभी भारतीय निजी न्यूज चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि उनके इस प्रतिबंध से दूरदर्शन को बाहर रखा गया है. भारत और नेपाल को लेकर तनाव जारी है. हालांकि इस संबंध में कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है.

यह कदम भारतीय न्यूज चैनलों द्वारा नेपाल के कवरेज को लेकर ऑनलाइन स्तर पर हुई भारी आलोचना के मद्देनजर लिया गया है, इसमें नेपाली नेतृत्व को लेकर खराब छवि पेश की गई थी. नेपाल में मेगा मैक्स टीवी के उपाध्यक्ष ध्रुव शर्मा ने बताया कि चैनल के वितरकों ने 09 जुलाई 2020 को शाम से सरकारी स्वामित्व वाले दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय समाचार चैनलों के प्रसारण को निलंबित करने का फैसला किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल ने दूरदर्शन को छोड़कर अन्य सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण बंद करते हुए आरोप लगाया कि वो ऐसी खबरें दिखा रहे हैं जिससे देश की राष्ट्रीय भावनाएं आहत हो रही हैं. इस मुद्दे पर भारत की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत और नेपाल के बीच नेपाली नक्शे को लेकर विवाद चल रहा है.

मल्टी सिस्टम ऑपरेटर (एमएसओ) के अध्यक्ष, विदेशी चैनल के वितरक दिनेश सुबेदी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि हमनें दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण रोक दिया है. उन्होंने कहा कि हमनें भारत के निजी समाचार चैनलों का प्रसारण रोक दिया है क्योंकि वे नेपाल की राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने वाली खबरें दिखा रहे थे.

पृष्ठभूमि

हाल ही में नेपाल ने अपने नए नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के इलाकों को अपने क्षेत्रों के रूप में दर्शाया है, जबकि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह इलाके भारत का हिस्सा हैं. नए नक्शे को संसद से मंजूरी मिल गई है. सीमा विवाद के कारण भारत और नेपाल के बीच इन दिनों रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 08 मई 2020 को लिपुलेख से धाराचूला तक बनाई गई एक सड़क का उद्घाटन किया था. लेकिन नेपाल ने लिपुलेख को अपना हिस्सा बताते हुए विरोध किया था.

शनिवार, 13 जून 2020

साइमन कमीशन की हकीकत



*हमें आज तक यही  पढ़ाया गया था, कि गांधी ने साइमन कमीशन का विरोध किया था ,, लेकिन यह  नहीं पढ़ाया जाता कि तीन शख्स थे जिन्होंने साइमन कमीशन का स्वागत भी  किया था ।।*

*इन तीन शख्स के नाम निम्न है -*

*1- ओबीसी से चौधरी सर छोटूराम जी। जो पंजाब से थे।*

*2- एससी से डॉक्टर बी आर अम्बेडकर। जो महाराष्ट्र से थे।*

*3- ओबीसी शिव दयाल चौरसिया जो यूपी से थे।।*

*अब सवाल ये उठता है कि गांधी ने साइमन का विरोध क्यों किया?*
 
*क्योंकि 1917 में अंग्रेजो ने एक एक कमेटी का गठन किया था,, जिसका नाम था साउथ बरो कमिशन,, जो कि भारत के शूद्र अति शूद्र अर्थात आज की भाषा में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की पहचान कर उन्हें हर क्षेत्र में अलग अलग प्रतिनिधित्व दिया जाए,, और हजारों सालों से वंचित इन 85% लोगों को हक अधिकार देने के लिए बनाया गया था,, उस समय ओबीसी की तरफ से शाहू महाराज ने भास्कर राव जाधव को,, और एससी एसटी की तरफ से डॉक्टर अम्बेडकर को इस कमीशन के समक्ष अपनी मांग रखने के लिए भेजा।।*

*लेकिन ये बात बाल गंगाधर तिलक को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने कोल्हापुर के पास अथनी नाम के गांव में जाकर एक सभा लेकर कहां कि तेली,, तंबोली,, कुर्मी कुनभट्टों को संसद में जाकर क्या हल चलाना है।।*

*इस तरह विरोध होने के बाद भी अंग्रेजो ने तिलक की बात को नहीं माना और 1919 में अंग्रजों ने एक बात कहीं कि भारत के ब्राह्मणों में भारत की बहु संख्यक लोगों के प्रति न्यायिक  चरित्र नहीं है।।*

*इसे ध्यान में रखते हुए 1927 में साइमन कमीशन 10 साल बाद फिर से भारत में एक ओर सर्वे करने आया,, कि इन मूलनिवासी लोगों को भारत छोड़ने से पहले अलग अलग क्षेत्र में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए,,,*

*इस साइमन कमिशन में 7 लोगों की एक आयोग की तरह कमेटी थी,, जिसमे सब संसदीय लोग थे।।*

*इसलिए इसमें उन लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता था,, जो लोग भारत के मूलनिवासी लोगों के हक़ अधिकार का हमेशा विरोध करते थे,, जब यह कमिशन एससी एसटी और ओबीसी लोगों का सर्वे करने भारत आया तो,, गांधी,, लाला लाजपराय,, नेहरू और आरएसएस ने इसका इतना भयंकर विरोध किया कि कई जगह साइमन को काले झंडे दिखाए गए,, लाला लापतराय ने इसलिए अपने प्राण दे दिए,, चाहे मै मर भी क्यों न जाऊं लेकिन इन शूद्र अति शूद्र लोगों को एक कोड़ी भी हक अधिकार नहीं मिलने चाहिए।*

*गांधी ने लोगों को ये कहकर विरोध करवाया कि इसमें एक भी सदस्य भारतीय नहीं है,, दूसरे अर्थों में गांधी ये कहना चाहता था,, कि इस कमिशन में ब्राह्मण बनियों को क्यों नहीं लिया।।*

*क्योंकि गांधी ने मरते दम तक एक भी ओबीसी के आदमी में सविधान सभा में नहीं पहुंचने दिया,, इसलिए बाबा साहब ने ओबीसी के लिए आर्टिकल 340 बनाया और संख्या के अनुपात में हक अधिकार देने का प्रावधान किया।।*

*दूसरी तरफ साइमन का स्वागत करने के लिए चौधरी सर छोटूराम जी ने एक दिन पहले ही लाहौर के रेलवे स्टेशन पर जाकर उनका स्वागत किया,, यूपी से ऐसा ही स्वागत शिवदयाल चौरसिया ने किया,, और डॉक्टर अम्बेडकर ने  अलग अलग जगह पर अंग्रेजो का सहयोग  कियसा और भारत में जाति व्यवस्था की जमीनी स्तर की  सही जानकारी साइमन  कमीशन को दी,, जिसकी वजह से गोलमेज सम्मेलन में हम भारत के हजारों सालों से शिक्षा,, ज्ञान,, विज्ञान,, तकनीक,, संपति,, और बोलने सुनने और पढ़ने लिखने से वंचित किए गए लोगों और उस समय के राजा महाराजाओं की ओकात एक बराबर कर दी,, वोट का अधिकार देकर।।*

*लेकिन क्या हम ओबीसी,, एससी एस टी अपने वोट की कीमत आज तक जान पाए,, कभी नहीं जान पाए,, इसलिए हम आज भी 15% लोगों के गुलाम है।।*

*दूसरी बात साइमन का विरोध करके हमारे हक अधिकार का कोन लोग विरोध कर रहे थे।।*

*1- कर्मचंद गांधी गुजरात का गोड बनिया।*

*2- जवाहर लाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण।*

*3- लाला लाजपतराय पंजाब के ब्राह्मण।।*

*4- आरएसएस के संस्थापक डॉक्टर केशव बली हेडगवार ब्राह्मण  और पूरी की पूरी  आरएसएस लाबी ।।*

 *ये लोग इसलिए विरोध कर रहे थे,, क्योंकि इनकी संख्या भारत में मुश्किल से 15% है और इनको ग्राम पंचायत का पंच नहीं चुना जा सकता,, इसलिए 85% एससी, एस टी और ओबीसी के वोट के अधिकार का,, शिक्षा,, संपति और अलग अलग क्षेत्र में प्रतिनिधित्व का विरोध कर रहे थे।।*

*अत: हमें मालुम होना चाहिये हमारा इतिहास वो नहीं है जो हमे  पढ़ाया जाता रहा  है,, बल्कि वो है जो हम से  छुपाया जाता रहा  है।।*

*अब भी अगर अपना इतिहास नही जानोगे तो  समाज का सही मार्ग दर्शन नही हो पाएगा*
जय यौद्धेय

रविवार, 31 मई 2020

अमेरिका में जॉर्ज लॉयड नाम के एक अश्वेत का श्वेत पुलिस अधिकारी ने गला दबा दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई। In America, a black policeman named George Lloyd was strangled by a white police officer who died.

अमेरिका में जॉर्ज लॉयड नाम के एक अश्वेत का श्वेत पुलिस अधिकारी ने गला दबा दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई।ट्रम्प सरकार ने पुलिस अधिकारी पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने में देरी की और अमेरिका के 20 बड़े शहर आग की चपेट में है।लॉक डाउन को तोड़कर लोग सड़कों पर है और हाथों में "Black's Lives matters"अर्थात कालों की जिंदगी भी मायने रखती है,तख्तियां लिए हुए है।

भारत मे हजारों सालों से बहुत बड़ी आबादी को विभिन्न षड्यंत्रों के माध्यम से शिक्षा से वंचित करके रखा गया था तो बोलने का सवाल ही पैदा नहीं होता।आजादी के बाद संविधान लागू हुआ तो लगा अब सवेरा हुआ मगर जैसे-जैसे शिक्षा का उजियारा फैला और लोग हकों-अधिकारों के लिए बोलने लगे तो जुबानें नोची जाने लगी,धमकियां दी जानी लगी,हत्याएं तक कर दी गई मगर  उनके समर्थन में भारत का समाज कभी खड़ा नहीं हुआ।Because most people's lives doesn't matter!

जो समाज अन्याय व अत्याचार की पराकाष्ठा के षड्यंत्र की बेड़ियों को तोड़ने में असफल पाता है वो एक कुंठाग्रस्त समाज तैयार कर रहा होता है।जो समाज छुआछूत जैसी सामाजिक भेदभाव की बुराइयां कानून के हवाले छोड़ देता है,अपने गिरेबाँ में झांकने से परहेज करने लगता है वो भविष्य मे बगावत की चिंगारियां सहेज रहा होता है।भारत एक जातियों का समूह देश है जिसे धर्मों का देश बनाने का प्रयास चल रहा है जिसके बल पर तथाकथित श्रेष्ठ जातियों की श्रेष्ठता बरकरार रखी जा सके।अब शिक्षा सिर्फ शिक्षा नीतियों की पिछलग्गू नहीं रही बल्कि हर इंसान दुनियाँ का हर ज्ञान घर बैठे हासिल कर सकता है।इसलिए अब वर्तमान इतिहास की तरफ कभी न लौट सकेगा।वर्तमान भविष्य की तरफ ही बढ़ेगा।

मार्क्स जब विचार दे रहा था तब दुनियाँ ने उनके विचार महान नहीं माने थे बल्कि लेनिन ने उन विचारों के बल पर क्रांति करके उनके विचारों को महान बना दिया था।बाबा साहब के विचारों को खुद बाबा साहब अपने जीवन मे मूरत  रूप नहीं दे सके मगर कांशीराम जी ने उनके विचारों को लेकर पूरे भारत मे क्रांति की नींव रखकर महान बना दिया।आज से पांच साल पहले चौधरी छोटूराम को गिने-चुने लोग ही जानते थे मगर भाई मनोज दुहन ने घर-घर चौधरी छोटूराम को पहुंचा दिया है।

जो समाज अपनी बौद्धिक संपदा को संभालने में नाकाम हो जाता है,उनकी गुलामी की बेड़ियों को कोई नहीं तोड़ सकता।जो समाज अपने बुद्धिजीवी लोगों का समर्थन व सरंक्षण नहीं कर सकता वो तरक्की की राहों पर कभी नहीं आ सकता।भारत में भाईचारे का टेंडर महाराष्ट्र में मराठों के सिर,कर्नाटक में गौड़ा व लिंगायतों के सिर,आंध्रप्रदेश में कापू के सिर,गुजरात मे पटेलों के सिर,राजस्थान में जाट गुर्जरों के सिर,यूपी-बिहार में यादवों के सिर,हरियाणा-पंजाब में जाटों के सिर पर रखा गया है।किसान जातियाँ चुपचाप श्रेष्ठी वर्ग की लठैत बनकर एससी, एसटी व माइनॉरिटी के खिलाफ में खड़ी रहे,हक मांगा तो पूरा सिस्टम देश विरोधी,सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाले,बलात्कारी,गद्दार न जाने क्या-क्या शगूफे लेकर खड़ा हो जाता है और हक मांगने वालों को कठघरे में खड़ा कर देता है।हक मांगने वाले के समाज के लोग ही हकों को भूलकर भाईचारे के दलाल बन जाते है!

भारत मे जाति आधारित जनगणना और "जिसकी जितनी हिस्सेदारी,उसकी उतनी भागीदारी"ही एकमात्र सामाजिक सौहार्द्र का उपाय है मगर उस पर कोई चर्चा करना नहीं चाहता।जिस समाज के बुद्धिजीवी लोगों की कद्र समाज के राजनेता,सामाजिक संगठन और इनसे जुड़े लोग बंद कर देते है तो दूसरे लोग उन पर हावी होने लग जाते है।चलो माफी मंगवाकर तुम लोग भाईचारे की लीपापोती कर लोगे मगर जमीनी हकीकत बदलने की हिम्मत तुम्हारे अंदर है?दिलों में पैदा आक्रोश को तुम कब तक थाम पाओगे!

माना जाना चाहिए कि कुछ दिनों के लिए तुम लोग आवाज दबाकर खुशियां मना लोगे जिस तरह ओबीसी आयोग के मुद्दे पर बाबा साहेब को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था मगर यह झूठ-फरेब की बुनियाद पर खड़ा अहंकार का साम्राज्य एक न एक दिन जरूर ढहेगा।7साल पहले एक किताब लिख दी उससे भावना आहत हो गई!7साल पहले एक बात कह दी उससे अब भाईचारा बिगड़ रहा है!तुलसीदास ने 500 साल पहले लिखा "ढोर, गंवार,क्षुद्र पशु नारी,ये सब ताड़न के अधिकारी!"क्या उनके ऊपर या उनकी चौपाइयों का प्रचार-प्रसार करने वालों के ऊपर हम एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी दें?क्या देश की महिलाएं उनके खिलाफ महिला उत्पीड़न के मुकदमे करें या इनके खिलाफ सड़कों पर आंदोलन करें?

अमेरिका में अश्वेतों ने लंबी लड़ाई लड़ी,मुख्य न्यायाधीश से लेकर राष्ट्रपति तक अश्वेत बनाये गए मगर 1963 में वांशिगटन में "I have a dream"भाषण दिया था उस सपने की खाई को नीतियों से नहीं पाटा जा सका क्योंकि श्वेतों की नीयत खराब थी इसलिए एक अश्वेत की मौत का विभत्स स्वरूप सामने आया और आज 21वीं सदी का सुपर पावर आग के हवाले है।देर सवेर दुनियाँ के हर समाज को जो दूसरों को नीचा समझने,दबाने की कोशिश में लगा है उसे इन्हीं राहों से गुजरने होगा।हम चाहते है कि भेदभाव की दीवारें गिरे,समतामूलक समाज की स्थापना हो और हमारा मुल्क महफूज रहे।ये हवाई समझौते,दबाव धमकियां,मुकदमें आदि सामाजिक न्याय की लड़ाई को थोड़े समय के लिए रोक तो सकते है मगर भविष्य के लिए बारूद के ढेर सरीखे हो जाते है।
साभार
प्रेमाराम 
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                    English translation
In America, a black policeman named George Lloyd was strangled by a white police officer who died. The Trump government delayed filing a murder case against a police officer and 20 large cities in the US are under fire.  People are on the streets, and "Black's Lives matters" in their hands, that means the lives of Blacks also matter, with placards.


 In India, for thousands of years, a large population was denied education through various conspiracies, then there is no question of speaking. After independence, the Constitution came into force, but now it became dawn, but as the power of education spread and  When people started speaking for rights, the tongues started being shunned, threats were made, even murders were committed, but India's society never stood up in support of them. Because most people's lives doesn't matter!


 The society which fails to break the shackles of conspiracy to perpetuate injustice and tyranny is preparing a frustrated society. The society leaves the evils of social discrimination like untouchability under the law, avoiding peeping into its fall  He is saving the sparks of revolt in the future. India is a group of castes that is trying to make a country of religions, on whose strength the superiority of the so-called superior castes can be maintained. Now education is not just a backlog of education policies.  Rather, every human being can gain all the knowledge of the world from home. Therefore, we will never be able to return to the present history. The present will only move towards the future.


 When Marx was giving ideas, the world did not consider his ideas to be great, but Lenin revolutionized those ideas and made his ideas great. Baba Saheb's ideas could not be sculpted in his life but  Kanshi Ram ji made his ideas great by laying the foundation of revolution in the whole of India. Five years before today, only a few people knew Chaudhary Chhoturam but brother Manoj Duhan has delivered Chaudhary Chhoturam.


 A society which fails to handle its intellectual property, no one can break the shackles of their slavery. A society which cannot support and protect its intellectual people can never come on the path of progress. Tender of brotherhood in India  Heads of Marathas in Maharashtra, heads of Gowda and Lingayats in Karnataka, heads of Kapu in Andhra Pradesh, heads of Patels in Gujarat, heads of Jat Gurjars in Rajasthan, heads of Yadavas in UP-Bihar, heads of Jats in Haryana-Punjab  The peasant castes silently stand against the SC, ST and Minority as the lathis of the superior class, if the right system demands, the whole system stands up with respect to the anti-national, social harmony, rapist, traitor.  Those who demand rights stand in the dock. Only those of the society who demand rights forget the entitlements and become brokers of brotherhood!


 Caste-based census in India and "whose share, as much as its participation" is the only social harmony solution but no one wants to discuss it. The social intelligentsia, social organizations and the people associated with the society should be closed.  If you give, other people start dominating them. Lets apologize, you will smuggle the brotherhood but you have the courage to change the ground reality? How long will you be able to hold the resentment in the hearts!


 It should be assumed that for a few days you will celebrate by pressing your voice, just as Baba Saheb was forced to resign on the issue of the OBC Commission, but this empire of arrogance, which lies on the foundation of falsehood, must one day  Will collapse. Writing a book 7 years ago, it hurt sentiment! Feminism is being spoiled by him saying one thing 7 years ago! Tulsidas wrote 500 years ago, "Dumb, boorish, petty animal woman, all these are officials of Tarden!"  Should we threaten to file a lawsuit under the SC / ST Act against them or those who propagate their chaupis? Should the women of the country file women harassment cases against them or agitate against them in the streets?


 In America, blacks fought a long battle, blacks were made from Chief Justice to President, but in 1963 he gave an "I have a dream" speech at Wanshigton, that dream gap could not be bridged by policies because white intentions were poor so one  Different forms of black death have emerged and today the 21st century super power has been set on fire. Every morning, every society in the world, which is trying to understand and suppress others, will have to go through these paths. We want that  The walls of discrimination have fallen, an egalitarian society should be established and our country safeguards. These air pacts, pressure threats, lawsuits etc. can stop the fight for social justice for a short time but ammunition piles up for the future.

 Sincerely

 

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