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शनिवार, 13 जून 2020

साइमन कमीशन की हकीकत



*हमें आज तक यही  पढ़ाया गया था, कि गांधी ने साइमन कमीशन का विरोध किया था ,, लेकिन यह  नहीं पढ़ाया जाता कि तीन शख्स थे जिन्होंने साइमन कमीशन का स्वागत भी  किया था ।।*

*इन तीन शख्स के नाम निम्न है -*

*1- ओबीसी से चौधरी सर छोटूराम जी। जो पंजाब से थे।*

*2- एससी से डॉक्टर बी आर अम्बेडकर। जो महाराष्ट्र से थे।*

*3- ओबीसी शिव दयाल चौरसिया जो यूपी से थे।।*

*अब सवाल ये उठता है कि गांधी ने साइमन का विरोध क्यों किया?*
 
*क्योंकि 1917 में अंग्रेजो ने एक एक कमेटी का गठन किया था,, जिसका नाम था साउथ बरो कमिशन,, जो कि भारत के शूद्र अति शूद्र अर्थात आज की भाषा में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की पहचान कर उन्हें हर क्षेत्र में अलग अलग प्रतिनिधित्व दिया जाए,, और हजारों सालों से वंचित इन 85% लोगों को हक अधिकार देने के लिए बनाया गया था,, उस समय ओबीसी की तरफ से शाहू महाराज ने भास्कर राव जाधव को,, और एससी एसटी की तरफ से डॉक्टर अम्बेडकर को इस कमीशन के समक्ष अपनी मांग रखने के लिए भेजा।।*

*लेकिन ये बात बाल गंगाधर तिलक को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने कोल्हापुर के पास अथनी नाम के गांव में जाकर एक सभा लेकर कहां कि तेली,, तंबोली,, कुर्मी कुनभट्टों को संसद में जाकर क्या हल चलाना है।।*

*इस तरह विरोध होने के बाद भी अंग्रेजो ने तिलक की बात को नहीं माना और 1919 में अंग्रजों ने एक बात कहीं कि भारत के ब्राह्मणों में भारत की बहु संख्यक लोगों के प्रति न्यायिक  चरित्र नहीं है।।*

*इसे ध्यान में रखते हुए 1927 में साइमन कमीशन 10 साल बाद फिर से भारत में एक ओर सर्वे करने आया,, कि इन मूलनिवासी लोगों को भारत छोड़ने से पहले अलग अलग क्षेत्र में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए,,,*

*इस साइमन कमिशन में 7 लोगों की एक आयोग की तरह कमेटी थी,, जिसमे सब संसदीय लोग थे।।*

*इसलिए इसमें उन लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता था,, जो लोग भारत के मूलनिवासी लोगों के हक़ अधिकार का हमेशा विरोध करते थे,, जब यह कमिशन एससी एसटी और ओबीसी लोगों का सर्वे करने भारत आया तो,, गांधी,, लाला लाजपराय,, नेहरू और आरएसएस ने इसका इतना भयंकर विरोध किया कि कई जगह साइमन को काले झंडे दिखाए गए,, लाला लापतराय ने इसलिए अपने प्राण दे दिए,, चाहे मै मर भी क्यों न जाऊं लेकिन इन शूद्र अति शूद्र लोगों को एक कोड़ी भी हक अधिकार नहीं मिलने चाहिए।*

*गांधी ने लोगों को ये कहकर विरोध करवाया कि इसमें एक भी सदस्य भारतीय नहीं है,, दूसरे अर्थों में गांधी ये कहना चाहता था,, कि इस कमिशन में ब्राह्मण बनियों को क्यों नहीं लिया।।*

*क्योंकि गांधी ने मरते दम तक एक भी ओबीसी के आदमी में सविधान सभा में नहीं पहुंचने दिया,, इसलिए बाबा साहब ने ओबीसी के लिए आर्टिकल 340 बनाया और संख्या के अनुपात में हक अधिकार देने का प्रावधान किया।।*

*दूसरी तरफ साइमन का स्वागत करने के लिए चौधरी सर छोटूराम जी ने एक दिन पहले ही लाहौर के रेलवे स्टेशन पर जाकर उनका स्वागत किया,, यूपी से ऐसा ही स्वागत शिवदयाल चौरसिया ने किया,, और डॉक्टर अम्बेडकर ने  अलग अलग जगह पर अंग्रेजो का सहयोग  कियसा और भारत में जाति व्यवस्था की जमीनी स्तर की  सही जानकारी साइमन  कमीशन को दी,, जिसकी वजह से गोलमेज सम्मेलन में हम भारत के हजारों सालों से शिक्षा,, ज्ञान,, विज्ञान,, तकनीक,, संपति,, और बोलने सुनने और पढ़ने लिखने से वंचित किए गए लोगों और उस समय के राजा महाराजाओं की ओकात एक बराबर कर दी,, वोट का अधिकार देकर।।*

*लेकिन क्या हम ओबीसी,, एससी एस टी अपने वोट की कीमत आज तक जान पाए,, कभी नहीं जान पाए,, इसलिए हम आज भी 15% लोगों के गुलाम है।।*

*दूसरी बात साइमन का विरोध करके हमारे हक अधिकार का कोन लोग विरोध कर रहे थे।।*

*1- कर्मचंद गांधी गुजरात का गोड बनिया।*

*2- जवाहर लाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण।*

*3- लाला लाजपतराय पंजाब के ब्राह्मण।।*

*4- आरएसएस के संस्थापक डॉक्टर केशव बली हेडगवार ब्राह्मण  और पूरी की पूरी  आरएसएस लाबी ।।*

 *ये लोग इसलिए विरोध कर रहे थे,, क्योंकि इनकी संख्या भारत में मुश्किल से 15% है और इनको ग्राम पंचायत का पंच नहीं चुना जा सकता,, इसलिए 85% एससी, एस टी और ओबीसी के वोट के अधिकार का,, शिक्षा,, संपति और अलग अलग क्षेत्र में प्रतिनिधित्व का विरोध कर रहे थे।।*

*अत: हमें मालुम होना चाहिये हमारा इतिहास वो नहीं है जो हमे  पढ़ाया जाता रहा  है,, बल्कि वो है जो हम से  छुपाया जाता रहा  है।।*

*अब भी अगर अपना इतिहास नही जानोगे तो  समाज का सही मार्ग दर्शन नही हो पाएगा*
जय यौद्धेय

शनिवार, 6 जून 2020

सर सरदार सिकन्दर हयात खान

“राजनीति एक गन्दा खेल है पर मैं इसे ईमानदारी से निभाता हुँ।”
शब्द पूर्व प्रीमियर (1947 पूर्व) संयुक्त पंजाब के
सर सरदार सिकन्दर हयात खान जी के।
उनके जन्मदिवस 5 जून पर भावपूर्वक श्रधांजलो। 
कोटि कोटी नमन।

परिचय:
सर सरदार सिकन्दर हयात खान, एम बी ई, के बी ई
एक बहुत ही रहीस जाट परिवार में जन्मे 5 जून 1892 को मुल्तान, पंजाब में। आपके पिता नवाब सरदार मुहम्मद हयात खान पहले भारतीय मुस्लिम थे जो कि एसिस्टन्ट कमिश्नर व अनेक स्तर पर जज बने, समस्त पूर्व भारतीय अंग्रेजी साम्राज्य में। आपकी माता जी कपूरथला के निज़ाम की सुपुत्री थी।

यौवन का सफर:
अपनी जवानी में आप तीसरे अफ़ग़ान युद्ध व पहले विश्व युद्ध में एक अव्वल दर्जे के अफसर की तरह लड़े। आप अपने समय के फ़ौज के नेतृत्वकर्ता के सर्वोच्ज श्रेणी के भारतीय बने। जिसकी वजह से आपको सबसे बड़ा सेना के अफसर का पुरस्कार मिला अंग्रेज़ सरकार द्वारा-एम बी ई।

पहले विश्व युद्ध उपरांत:
आपने उद्योगपति की तरह व बैंक में सचिव की तरह बहुत सफलता मिली व इस दौरान आप यूनियनिस्ट पार्टी से राजनीति में आय। 2 जनवरी 1933, अंग्रेज़ी सरकार द्वारा आपको नाइट बनाया गया।

आपका मार्गदर्शन:
आप मज़हबो में शांति का प्रयास करते थे व भारत को अंग्रेज़ो का साथ देकर हिटलर को परास्त करके भारत की भलाई व सम्पूर्ण विश्व को न्याय की मनोकामना रखते थे। इसके लिये आपका ह्र्दयपूर्वक धन्यवाद व आभार।

यूनिगनिस्ट पार्टी के मूल सिद्धांत:
यूनियनिस्ट पार्टी हिन्दू, मुस्लिम व सिख किसान कमरों को व गरीबो को उभरना चाहती थी। साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिये भी। इस के लिये यूनियनित पार्टी ने कई 'स्वर्ण कानूनों' को लागू किया।

मजहबो के अंतर्गत शांति के प्रयास:
आपजी ने 'एकता का सम्मेलन' आयोजित किया, 'सिकन्दर-जिन्नाह संधि', मुसलमानो के साथ एकता के लिये, व
'सिकन्दर-बलदेव सन्धि', सिखो के संग एकता के लिये हस्ताक्षरित करे। आपजी ने पूरा जोर लगाया कि भारत का विभाजन न हो।

आपकी सोच व नेकी को कोटि कोटि नमन।

सामान्य ज्ञान