यह सही है कि हर राज्य में सरकार तमाम लोगों को खाना खिला रही है, चुनौती बड़ी है, फिर भी तमाम लोग खाना न मिलने की शिकायत कर रहे हैं. सरकार को यह बात समझनी चाहिए कि कोरोना का भय भूख नहीं मिटा सकता. कोरोना का डर भूख की पीड़ा और भय से बड़ा नहीं है.
सरकार से अपील है कि वह पेट के लिए किसी को अपराधी न बनाए. भूखे लोग सड़कों पर निकल कर अपनी ही जान संकट में डाल रहे हैं. खाना न मिलने पर भी उनकी जान संकट में है. उनके आगे कुआं है, पीछे खाईं.
मुख्यमंत्रियों को चाहिए कि वे दो चार दिन भूखे रहकर देखें कि भूख की छटपटाहट कैसी होती है. लाठी भांजकर क्रूरता प्रदर्शन के और बहुत से मौके आएंगे. फिलहाल एसी कार्रवाई रोक देनी चाहिए और कोरोना से लड़ने के लिए करुणा जी को भाषण से बाहर ले आना चाहिए.
(ये लेख पत्रकार कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)
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