गुरुवार, 4 जून 2020

भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।**भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।

*भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।**भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।*
 इन्हीं पंडितों ने अतीत में अपनी सुविधा के लिए इस समाज का  विभाजन ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र वर्ण के रूप में किया।भारतीय समाज में मानव जीवन के हर कार्य से पंडिताई जुड़ी हुई है।  यहां व्यक्ति का खान-पान,रहन-सहन,उठना-बैठना,सोना-जगना,आना-जाना सब पंडित तय करता है। अर्थात जैसे कि खानपान को ही ले लें... किसी समय,तिथि,वार इत्यादि पर क्या-क्या खाना-पीना शुभ अथवा अशुभ है।

यही वजह है कि, यहां अतीत का सबसे बड़ा हत्यारा जिसने पूरी पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से खाली कर दिया। अपनी मां तक की हत्या कर दी।  फिर भी पंडित वर्ग से होने के कारण भारतीय समाज उस को भगवान मानने को मजबूर है।

 आज के आधुनिक युग में भी भारतीय राजनीति धर्म अर्थव्यवस्था और यहां तक कि शासन-प्रशासन सभी पंडितों के इर्द-गिर्द ही काम करते हैं। यदि विज्ञान के इस युग में कोई किसी बड़े प्रोजेक्ट के शुभारंभ में होने वाली पंडिताई पर कुछ भी बोल दे तो  पंडिताई पर सवाल करने मात्र से राष्ट्र अथवा संस्कृति विरोधी घोषित किया जा सकता है। यही वजह है कि हमारे देश में केवल अंधविश्वास और पाखंड का समर्थन करने वाले ही देशभक्त कहलाते हैं...

शिवनारायण इनाणियां भाकरोद

 इन्हीं पंडितों ने अतीत में अपनी सुविधा के लिए इस समाज का  विभाजन ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र वर्ण के रूप में किया।भारतीय समाज में मानव जीवन के हर कार्य से पंडिताई जुड़ी हुई है।  यहां व्यक्ति का खान-पान,रहन-सहन,उठना-बैठना,सोना-जगना,आना-जाना सब पंडित तय करता है। अर्थात जैसे कि खानपान को ही ले लें... किसी समय,तिथि,वार इत्यादि पर क्या-क्या खाना-पीना शुभ अथवा अशुभ है।

यही वजह है कि, यहां अतीत का सबसे बड़ा हत्यारा जिसने पूरी पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से खाली कर दिया। अपनी मां तक की हत्या कर दी।  फिर भी पंडित वर्ग से होने के कारण भारतीय समाज उस को भगवान मानने को मजबूर है।

 आज के आधुनिक युग में भी भारतीय राजनीति धर्म अर्थव्यवस्था और यहां तक कि शासन-प्रशासन सभी पंडितों के इर्द-गिर्द ही काम करते हैं। यदि विज्ञान के इस युग में कोई किसी बड़े प्रोजेक्ट के शुभारंभ में होने वाली पंडिताई पर कुछ भी बोल दे तो  पंडिताई पर सवाल करने मात्र से राष्ट्र अथवा संस्कृति विरोधी घोषित किया जा सकता है। यही वजह है कि हमारे देश में केवल अंधविश्वास और पाखंड का समर्थन करने वाले ही देशभक्त कहलाते हैं...

शिवनारायण इनाणियां भाकरोद

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