“राजनीति एक गन्दा खेल है पर मैं इसे ईमानदारी से निभाता हुँ।”
शब्द पूर्व प्रीमियर (1947 पूर्व) संयुक्त पंजाब के
सर सरदार सिकन्दर हयात खान जी के।
उनके जन्मदिवस 5 जून पर भावपूर्वक श्रधांजलो।
कोटि कोटी नमन।
परिचय:
सर सरदार सिकन्दर हयात खान, एम बी ई, के बी ई
एक बहुत ही रहीस जाट परिवार में जन्मे 5 जून 1892 को मुल्तान, पंजाब में। आपके पिता नवाब सरदार मुहम्मद हयात खान पहले भारतीय मुस्लिम थे जो कि एसिस्टन्ट कमिश्नर व अनेक स्तर पर जज बने, समस्त पूर्व भारतीय अंग्रेजी साम्राज्य में। आपकी माता जी कपूरथला के निज़ाम की सुपुत्री थी।
यौवन का सफर:
अपनी जवानी में आप तीसरे अफ़ग़ान युद्ध व पहले विश्व युद्ध में एक अव्वल दर्जे के अफसर की तरह लड़े। आप अपने समय के फ़ौज के नेतृत्वकर्ता के सर्वोच्ज श्रेणी के भारतीय बने। जिसकी वजह से आपको सबसे बड़ा सेना के अफसर का पुरस्कार मिला अंग्रेज़ सरकार द्वारा-एम बी ई।
पहले विश्व युद्ध उपरांत:
आपने उद्योगपति की तरह व बैंक में सचिव की तरह बहुत सफलता मिली व इस दौरान आप यूनियनिस्ट पार्टी से राजनीति में आय। 2 जनवरी 1933, अंग्रेज़ी सरकार द्वारा आपको नाइट बनाया गया।
आपका मार्गदर्शन:
आप मज़हबो में शांति का प्रयास करते थे व भारत को अंग्रेज़ो का साथ देकर हिटलर को परास्त करके भारत की भलाई व सम्पूर्ण विश्व को न्याय की मनोकामना रखते थे। इसके लिये आपका ह्र्दयपूर्वक धन्यवाद व आभार।
यूनिगनिस्ट पार्टी के मूल सिद्धांत:
यूनियनिस्ट पार्टी हिन्दू, मुस्लिम व सिख किसान कमरों को व गरीबो को उभरना चाहती थी। साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिये भी। इस के लिये यूनियनित पार्टी ने कई 'स्वर्ण कानूनों' को लागू किया।
मजहबो के अंतर्गत शांति के प्रयास:
आपजी ने 'एकता का सम्मेलन' आयोजित किया, 'सिकन्दर-जिन्नाह संधि', मुसलमानो के साथ एकता के लिये, व
'सिकन्दर-बलदेव सन्धि', सिखो के संग एकता के लिये हस्ताक्षरित करे। आपजी ने पूरा जोर लगाया कि भारत का विभाजन न हो।
आपकी सोच व नेकी को कोटि कोटि नमन।
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