सत्ताधारी दल के एक मंत्री जी का पेड़ के पास पेशाब करते हुऐ एक फोटो वायरल हो गया!
विपक्ष ने इसे अपना मुददा बनाते हुऐ कहा कि मंत्री जी ने एक पेड़ की जड़ो में मूत कर भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाया है , क्योंकि पेड़ हमारे लिए पूज्यनीय है!
मंत्री जी को इस शर्मानाक कृत्य के लिए देश से माफी मांगनी होगी!
मंत्री जी के पक्ष मे सत्ता पक्ष खड़ा हो गया और कहने लगा की मंत्री जी ने एक पानी के अभाव को झेल रहे पेड़ की जड़ो मे मूत कर पेड़ को नवजीवन दिया है! उन्होने प्यास से सूख रहे पेड़ को अपने मूत से हरा भरा करने की कोशिश की है! उनका यह काम जनकल्याणकारी है!
संसद मे इस मुददे पर तीखी नौक झौक होती रही!
उधर सोशल मीड़िया पर सत्ता पक्ष के समर्थको ने मंत्री जी के मूतने को किराँतिकारी सिद्ध करते हुऐ लम्बी लम्बी पोस्ट लिख कर शोसल मीडिया को पाट दिया!
मंत्री जी के एक समर्थक ने लिखा.........#पेशाब मे खनिज की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो किसी भी पेड़ के लिए पोषण का काम करती है! मंत्री जी ने पेड़ की जड़ो मे मूतकर सिद्ध कर दिया है की उनका खून ही ही नही उनका मूत भी जनहित के लिए है उन्होंने अभूतपूर्व काम किया है!
विरोधियों ने भी सोशल मीडिया पर लम्बी लम्बी पोस्ट लिखकर खुले मे मूतने से होने वाली हानि और लिखा की पेशाब मे होने वाले हानिकारक तत्व से पेड़ को हानि होती है ! ना की उसे कोई फायदा होता है!
एक मुस्लिम लीडर ने कहा.........खड़ा होकर मूतना #इस्लामिक रीति के खिलाफ है और मंत्री जी का खड़ा होकर मूतना यह दिखता है की यह लोग अल्पसंख्यकों से कितना चिढ़ते है!
हिन्दूवादी लीड़र ने कहा.......क्योंकि मंत्री जी ने मूतने के लिए जो पेड़ चुना था वह पीपल नही था इसलिए हम उनका पेड़ की जड़ो मे मूतना गलत नही मानते है!
बहूजनवादी लीड़र ने कहा...... #पाँच #हजार साल से मनुवादीयो ने हमे सार्वजनिक जगह पर मूतने से प्रतिबंधित रखा है! जबकि मंत्री उच्च वर्ग का होने के कारण कही भी मूत सकता है!
समाजवादी लीड़र ने कहा......देखीये! मूतना हर आदमी का जनसिद्ध अधिकार है और हर आदमी उचित जगह देखकर मूत सकता है! उसे इस अधिकार से कोई नही रोक सकता है!
बामपंथी लीड़र ने कहा......सदियो से पूँजीपति वर्ग ने मजदूरो को मूतने तक नही दिया है , आज समय आ गया है की श्रमिक वर्ग अपने मूत से पूँजी को बहा दे!
टीवी पर सबसे तेज ख़बर दिखाने के चक्कर मे न्यूज चैनल वाले कैमरा लेकर उस पेड़ को लाईव दिखाने लगे! हाथ मे माईक पकड़े हऐ बोल रहे थे............यह है वह पेड़ जिसकी जड़ो मे मंत्री जी ने पेशाब करा था........हाँलाकि पेशाब करे हुऐ एक दिन बीत चुका है मगर जहा पर मंत्री जी ने मूता था वहां की मिटटी अभी भी गीली है और पेड़ भी हरा भरा है...........जब पेड़ पहले से ही हरा भरा था तो फिर मंत्री जी को यहां मूतने की जरूरत क्या पड़ी ????
क्या यह सब सुर्खियों बटोरने का एक तरीका था ??? या यह चुनावी स्टंट था ???? या फिर मंत्री जी पेड़ मे मूत कर अपने विरोधियों को सबक सिखाना चाहते थे ???
मै कैमरामैन चतुरनंदन सिँह के साथ मुर्खानंदन!
सारी पार्टियों के प्रवक्ता इस पर डिबेट करने के लिए आ धमके! दो चार मुत्र विशेषज्ञ और पर्यावरण विशेषज्ञ बुला लिये गये!
ड़िबेट मे चीख पुकार शोर शराबा और आरोप प्रत्यारोप के बीच बात मार पीट तक जा पँहूची!
आखिर मे एंकर ने मूत्र विशेषज्ञ से अपनी बात रखने के लिए कहा.....मूत्र विशेषज्ञ जी ने कुछ सोचते हुऐ कहा की हर आदमी का मुत्र अलग अलग होता है वह शरीर पर निर्भर करता है की वह मूत्र मे कितनी खनिजों की मात्रा निकालता है और कितना तेजाबी है!
पर्यावरण विशेषज्ञ बोले......देखीये अगर हम आज नही संभले और हमने जल संरक्षण पर ध्यान नही दिया तो हमारी आने वाली पीढ़ी मुत्र पर निर्भर होगी!
मंत्री जी को मे धन्यवाद देना चाहूगां जिन्होने मूत कर हमारा ध्यान इस तरफ खीचा है और इसे राष्ट्रीय मुददा बनाया है!
अगले दिन सभी अख़बारो मे इस मुददो को अपने पहले पेज पर स्थान दिया! सम्पादकिय मे लम्बे लम्बे लेख लिखे गये!
उन्ही अखबारों मे अन्दर के पेजो पर कोने मे कुछ खबरे छपी थी
सरकार ने बदहाल सार्वजनिक उपक्रमो को निजी क्षेत्रो को दिया.......
अनजान बीमारी से अब तक सौ लोगो की मौत.......
बेरोजगारी से तंग आकर युवक ने आत्महत्या की.....
अधिग्रहण की गई जमीन के विरूध किसानो का उग्र आन्दोलन दस लोग मरे.........
एक युवती के साथ गैंग रेप....
बगेरा बगेरी
इस लेख का सार आप समझ ही गए होंगे
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