आर्यसमाज और जाट
आर्यसमाज को लेकर
वाद-विवाद चल रहा है तो हमे भी सच्चाई सामने लाने का प्रयास करना
चाहिए।आर्यसमाज की स्थापना 1875 में मुम्बई में होती है और मुम्बई में इसका
प्रचार-प्रसार करने के बजाय इसका कार्यालय तुरंत बाद लाहौर शिफ्ट हो जाता
है!
आर्य समाज के बड़े प्रचारक-पदाधिकारी वर्ग
विशेष के ही रहे है!संयुक्त पंजाब व बंटवारे के बाद भी वर्ग विशेष के
अखबारों के मालिक ही इनके कर्ता-धर्ता रहे!
चौधरी
छोटूराम के खिलाफ ये आर्य समाजी अखबारों के मालिक खूब जहर उगला करते
थे!चौधरी छोटूराम ने आर्यसमाज द्वारा आहूत हैदराबाद आंदोलन से जाटों को दूर
रहने को कहा!
चौधरी छोटूराम ने जो अखबार निकाला
वो जाट गजट नाम से निकाला आर्य समाज गजट नाम से नहीं!जाट स्कूल,जाट
कॉलेज,जाट धर्मशाला आदि बनवाये।कृषि उत्पाद मार्केटिंग बिल को लेकर असेंबली
में चौधरी छोटूराम पर अभद्र टिप्पणी करने वाला आर्य समाजी था!
आर्य
समाजियों का मोटा-मोटा योगदान देखा जाए तो सबसे पहला तो यही नज़र आता है कि
ब्राह्मणवाद के खिलाफ जो समाज सुधार आंदोलन चला था उससे जाट सिक्खिज्म में
न चला जाएं इसलिए थामना था!
पंडित मूलशंकर
तिवारी उर्फ दयानंद सरस्वती ने कबीर को उटपटांग भाषा व तंबूरा लेकर घूमने
वाला नीच जुलाहा कहा!संत दादू को तेली कहा!गुरु नानक को अज्ञानी कहा!संत
रामदास के लिए तो जातुसूचक गाली तक का उपयोग किया था!जन्म के आधार पर
वर्णव्यवस्था का विरोध करने वाला पंडित खुद इस तरह की भाषा क्यों लिख रहा
था?
आर्य समाजी प्रचारकों,पदाधिकारियों व अखबारों
के मालिकों के इस गठजोड़ बंटवारे के समय मारकाट में क्या भूमिका अदा की उस
सच्चाई को भी सामने लाना चाहिए!पश्चिमी पंजाब में जाट-गुर्जर आदि तो
मुसलमान ही बने हुए थे और इधर के जाटों को मुसलमानों से कोई खतरा था नहीं
फिर इतनी हत्याएं किसने की व क्यों की?पाकिस्तान से भारत आने वाली आबादी
किस वर्ग की थी?
भारत मे मुसलमानों की बस्तियां
फूंकने के लिए माहौल बनाने वाले अखबारों के मालिक कौन थे,आर्य समाजियों के
गुरुकुलों की कोई भूमिका थी या नहीं?हथियार सप्लायर कौन थे?असल मे आर्य
समाजी जाटों की भूमिका उस समय क्या थी वो वर्तमान आर्यसमाजी जाटों को खोजनी
चाहिए,पढ़नी चाहिए!चौधरी छोटूराम आर्यसमाजी होकर भी जाट ही थे और जब तक
जिंदा थे तब तक कट्टरपंथी ताकतों को पंजाब में नहीं घुसने दिया था।
एक
समय अखबार मालिक लाला जगत नारायण जिसकी आर्य समाज मे तूती बोलती थी उसने
अखबारों के माध्यम से पंजाब में जो नफरत फैलाई थी और मुख्यमंत्री
प्रतापसिंह कैरो चाचा छोटूराम की दुहाई देकर आर्य समाजी जाटों को समझा रहे
थे तब आर्य समाजी जाट किस तरफ खड़े थे?जब पंजाब में जाट सिक्खों पर अत्याचार
हो रहे थे तब आर्य समाजी जाट कहाँ थे?दिल्ली में सिक्खों का नसरसंहार हो
रहा था तब आर्य समाजी जाट कहाँ थे?रोहतक-पानीपत से ट्रेनें-बसें भरकर
दिल्ली में दंगा करने आने का जो आरोप लगा था उसकी वास्तविकता क्या थी?
मेरे
एक मित्र है उन्होंने लिखा कि मेरे भतीजे ने सवाल किया कि आर्य समाजी कह
रहे है कि दादा खेड़ा तो इस्लाम की कांसेप्ट है क्योंकि मूर्ति-तस्वीर नहीं
होती!क्या आर्य समाज मूर्ति पूजा का विरोध करते-करते वापिस अपनी जड़ों पर
लौट चुका है?
आज आर्य समाजी जाट ज्यादातर आरएसएस
के सिपाही बने नजर आते है अर्थात आर्य समाजी जाट आरएसएस के लठैत बन चुके है
तो इतिहास व वर्तमान पर सवाल तो खड़े होंगे ही!आर्य समाज का भी झंडा उठाये
रखना है और आरएसएस की शाखा से भी कोर्स करना है!यह कौनसा ब्राह्मणवाद का
विरोध हुआ भाई?
मोटा-मोटी इशारों में सवाल किए
है।सभ्य संवाद का स्वागत है।कुतर्क व व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप की कोशिशें
हुई तो सत्यार्थ प्रकाश से लेकर तिवारी जी के जीवन की व वर्तमान में फुदक
रहे है सबका आईना सामने आ जायेगा।
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english translation
Arya Samaj and Jat
If there is a debate about Arya Samaj, we should also try to bring out the truth. Arya Samaj is established in 1875 in Mumbai and instead of promoting it in Mumbai, its office is shifted immediately to Lahore!
The big campaigners and officials of the Arya Samaj have belonged to a special class! Even after the joint Punjab and Partition, the owners of newspapers of a particular class remained their doers!
The owners of these Arya Samaji newspapers used to spew a lot of venom against Chaudhary Chhoturam! Chaudhary Chhoturam asked the Jats to stay away from the Hyderabad movement called by Aryasamaj!
The newspaper that Chaudhary Chhoturam took out was not named as Arya Samaj Gajat by Jat Gazat! Get Jat School, Jat College, Jat Dharamshala etc. built. Arya Samaj was the vulgar commentator on Chaudhary Chhoturam in the assembly regarding the Agricultural Product Marketing Bill!
If you see the thick contribution of Arya Samajis, then the first thing is that the Jats should not go to Sikhism because of the social reform movement against Brahmanism.
Pandit Moolshankar Tiwari alias Dayanand Saraswati called Kabir a vile weaver carrying uttapatang language and tambura! Calling Saint Dadu a Teli! Calling Guru Nanak ignorant! For saint Ramdas, he even used a sarcastic abuse! Why was the Pandit himself writing such a language opposing?
The role of Arya Samaj campaigners, office bearers and newspapers owners should also bring out the truth of what role they played in the market during the sharing of the alliance! In West Punjab, the Jats and Gujjars were still Muslims, and the Jats here were no more than Muslims. There was no danger, then who did such murders and why? Which class of the population coming from Pakistan to India?
Who was the owner of the newspapers that created the atmosphere for the Muslim settlements in India, whether the gurukuls of Arya Samajis had any role or who were the arms suppliers? Actually what was the role of Arya Samaj Jats at that time to find the present Aryasamaji Jats? Should, should read! Chaudhary Chhoturam was a Jat even after Aryasamaji and did not allow radical forces to enter Punjab till he was alive.
At one time, the newspaper owner Lala Jagat Narayan, who used to speak in Arya Samaj, spread the hatred in Punjab through newspapers and the Chief Minister Pratapsingh Kai was explaining the Arya Samaj Jats by chanting uncle Chhoturam, on which side did Arya Samaji Jat stand? Where were the Arya Samaji Jats when the Jat Sikhs were being tortured in Punjab? Where was the Sikh genocide happening in Delhi, where were the Arya Samaj Jats? The charges of coming to riot Delhi by filling trains and buses from Rohtak-Panipat What was his reality?
I have a friend. He wrote that my nephew questioned that Arya Samaji is saying that Dada Kheda is a concept of Islam because there is no idol. Is the Arya Samaj opposing idol worship and has returned to its roots? The
Today, Arya Samaji Jats are mostly seen as soldiers of the RSS, that is, Arya Samaji Jats have become the leaders of the RSS, so questions will be raised on the history and the present! Arya Samaj also has to keep the flag and course from the RSS branch too. Which Brahminism was opposed to this brother?
Questions have been asked in bold gestures. Good communication is welcome. Attempts are made for personal and accusatory counter-arguments, from the Satyarth Prakash to the life of Tiwari and presently, the mirror will be expose.
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