मंगलवार, 9 जून 2020

टिड्डी चड्डी मंडी फंडी

किसान टिड्डी दल से
भारत चड्डी दल से

और गरीब-मजदूर मंडी दल से परेशान है!

बाकी मौजा ही मौजा है! 

फंडी दल का कारोबार किसी भी हालत में न रुके इसलिए  रात 9 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक भारत मे लॉक डाउन रहेगा!

हर की पौड़ी की शाम 7.30pm की आरती व सुबह 5.00am पर मुल्ले की बांग का पूरा ख्याल रखा गया है!

सरकार को पता है जनता के लिए पंडित,मौलाना, पादरी काफी है उनके हवाले जनता को करके सत्ता का लुत्फ मस्ती से उठाते रहा जा सकता है!

मेरे बाप ने मरने से पहले मेरी माँ से कहा था पंडित साफ-सुथरे नहीं होते इसलिए घर के बाहर ही चूण डाल दिया करो!

मैं चौखट से बाहर ही डालता रहा और बाद में देना बंद कर दिया।

किसी की भावना,आस्था को ठेस पहुंची हो तो अदालत में जाकर इंसाफ मांगे। 

श्राद्ध पर हमारी तरफ से माल लेकर मेरे बाप-दादाओं तक पहुंचाया गया और कोई दिक्कत हमारे पूर्वजों को हुई तो पंडितों ने स्वर्ग के समाचार हमे बताये और हमने उनके श्राद्ध रूपी सारी प्रक्रियाएं की है।

अगर पंडितों को गफलत है और उनको लगता है कि मैं और मेरी माँ झूठ बोल रहे है तो मेरे बाप को खाना पहुंचाने वाले उनका बयान लाकर अदालत में पेश कर दें!

दुनियाँ को पता तो चले कि श्राद्ध के नाम पर पंडित झूठ बोल रहा है या मेरा बाप परेशान है और मेरे से रोटी मांग रहा है?

टिड्डी
चड्डी
मंडी
फंडी 

एक ही तरह की बीमारी है!बच लो।पंडित और अदालत मेरे प्रिय दोस्त और स्थल बन गए है।

प्रेमाराम

शनिवार, 6 जून 2020

सर सरदार सिकन्दर हयात खान

“राजनीति एक गन्दा खेल है पर मैं इसे ईमानदारी से निभाता हुँ।”
शब्द पूर्व प्रीमियर (1947 पूर्व) संयुक्त पंजाब के
सर सरदार सिकन्दर हयात खान जी के।
उनके जन्मदिवस 5 जून पर भावपूर्वक श्रधांजलो। 
कोटि कोटी नमन।

परिचय:
सर सरदार सिकन्दर हयात खान, एम बी ई, के बी ई
एक बहुत ही रहीस जाट परिवार में जन्मे 5 जून 1892 को मुल्तान, पंजाब में। आपके पिता नवाब सरदार मुहम्मद हयात खान पहले भारतीय मुस्लिम थे जो कि एसिस्टन्ट कमिश्नर व अनेक स्तर पर जज बने, समस्त पूर्व भारतीय अंग्रेजी साम्राज्य में। आपकी माता जी कपूरथला के निज़ाम की सुपुत्री थी।

यौवन का सफर:
अपनी जवानी में आप तीसरे अफ़ग़ान युद्ध व पहले विश्व युद्ध में एक अव्वल दर्जे के अफसर की तरह लड़े। आप अपने समय के फ़ौज के नेतृत्वकर्ता के सर्वोच्ज श्रेणी के भारतीय बने। जिसकी वजह से आपको सबसे बड़ा सेना के अफसर का पुरस्कार मिला अंग्रेज़ सरकार द्वारा-एम बी ई।

पहले विश्व युद्ध उपरांत:
आपने उद्योगपति की तरह व बैंक में सचिव की तरह बहुत सफलता मिली व इस दौरान आप यूनियनिस्ट पार्टी से राजनीति में आय। 2 जनवरी 1933, अंग्रेज़ी सरकार द्वारा आपको नाइट बनाया गया।

आपका मार्गदर्शन:
आप मज़हबो में शांति का प्रयास करते थे व भारत को अंग्रेज़ो का साथ देकर हिटलर को परास्त करके भारत की भलाई व सम्पूर्ण विश्व को न्याय की मनोकामना रखते थे। इसके लिये आपका ह्र्दयपूर्वक धन्यवाद व आभार।

यूनिगनिस्ट पार्टी के मूल सिद्धांत:
यूनियनिस्ट पार्टी हिन्दू, मुस्लिम व सिख किसान कमरों को व गरीबो को उभरना चाहती थी। साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिये भी। इस के लिये यूनियनित पार्टी ने कई 'स्वर्ण कानूनों' को लागू किया।

मजहबो के अंतर्गत शांति के प्रयास:
आपजी ने 'एकता का सम्मेलन' आयोजित किया, 'सिकन्दर-जिन्नाह संधि', मुसलमानो के साथ एकता के लिये, व
'सिकन्दर-बलदेव सन्धि', सिखो के संग एकता के लिये हस्ताक्षरित करे। आपजी ने पूरा जोर लगाया कि भारत का विभाजन न हो।

आपकी सोच व नेकी को कोटि कोटि नमन।

गुरुवार, 4 जून 2020

भारत को गुलाम किसने बनाया

भारत को गुलाम किसने बनाया?
 जब से हमने होश संभाला और पढ़ना शुरू किया तो हमें यही पढ़ाया जाता रहा कि हमारा देश 1000 साल तक आपसी फूट के कारण गुलाम रहा। लेकिन हमारे सरकारी इतिहासकारों ने इस तथ्य को कभी उजागर नहीं किया कि यह आपसी फूट डालनेवाले लोग कौन थे? इन्होंने कैसे फूट डाली? इतिहास गवाह है कि मामला फूट का नहीं था। ये गद्दारियों से भरा इतिहास है जिसने इस देश को कमजोर किया और यही कारण है कि देश 1000 साल तक गुलामी की बेडि़यों में जकड़कर अपनी किस्मत पर आंसू बहाता रहा। यह गद्दारी करने वाले वही ब्राह्मण थे जो जाटों को देशद्रोही, आतंकवादी, रेपिस्ट, लुटेरा, डाकू कहते हैं यहां तक कि स्कूल की किताबों में भी जाटों को लुटेरा, डाकू लिखवा दिया। उदाहरण के लिए यहाँ कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख कर रहा हूं -

• मौर्य साम्राज्य के आखरी राजा बृहद्रथ (मोर गोत्री जाट) को उन्हीं के ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने मारा ओर उनका राज हड़प लिया।
• फिर इन्होंने आखरी बौद्ध सम्राट हर्षवर्धन(बैंस गोत्री जाट) को मरवाया और उनके साम्राज्य पर ब्राह्मण सेनापति अर्जुन ने अधिकार करने के लिए प्रयत्न प्रारम्भ कर दिया किन्तु वंगहुएंत्से ने तिब्बत की सहायता से अर्जुन को बन्दी बनाकर चीन भेज दिया।
• फिर उन्होंने 696 ई. में माउंट आबू पर यज्ञ किया और अलग अलग जातियों को तोड़कर उनमें से नई राजपूत जाति बनाई। इनमें सबसे ज्यादा जाट थे।
• फिर सिंध के महाराजा सिहासीराय(मोर गोत्री जाट) को उन्हीं के विश्वासपात्र चच ब्राह्मण ने मरवा दिया। यही चच ब्राह्मण सिंध (आलौर) का सम्राट् बन बैठा और अपने राज का शिकंजा कसते हुए जाटों पर अमानवीय जुल्म ढ़ाये जिसमें जाटों को मलमल का कपड़ा न पहनना, सिर पर छतरी न लगाना, घोड़े पर काठी न कसना, जाट औरतों को घाघरे में नाड़ा न डालकर उसे रस्सी से बांधना, राजा की रसोई के लिए केवल जाटों द्वारा ही जंगल से लकड़ी लाना, वह भी नंगे पैरों तथा अपने कुत्तों को साथ ले जाना आदि आदेश जारी किये और उनको बड़ी शक्ति से मनवाया। इसी चच ब्राह्मण ने अपने “चचनामा” में जाटों को चाण्डाल जाति लिखा है।
• फिर जब कासिम सिंध पर हमला करने आया तो दाहिर का ब्राह्मण मंत्री ज्ञानबुद्ध व पुजारी मनसुख तथा हरनन्दराय रात्रि में बिन-कासिम से मिले और घूस के लालच में बिन-कासिम को लड़ाई जीतने के लिए एक युक्ति बतलाई जिससे कासिम हारी हुवी लड़ाई जीत गया।
• फिर इन्होंने भारत के लोगों का खून चूस चूस कर मंदिरों में सोना भर दिया और उसी सोने की चमक ने मोहम्मद गजनी को भारत तक खींच लाई। और गजनी ने पूरे भारत में भोकाल मचा दिया। जब गजनी सोमनाथ के धन को लूट कर लेजा रहा था तब जाटों ने उसका आधे से ज्यादा धन छीन लिया तो सोमनाथ के पंडितों ने जाटों को लूटेरा कहना शुरू कर दिया।
• फिर कन्नौज के राजा जयचंद के पुरोहितों ने पृथ्वीराज चौहान के राज्य पर चढ़ाई करने के लिए मोहम्मद गौरी को न्योता दिया।
• गंगाराम ब्राह्मण जिसने गुरु गोविंदसिंह जी की माता जी के पास कुछ गहने देखकर लालच में आया और सूबा सरहिन्द के अधिकारी नवाब जानी खाँ को सूचना दी की गुरु जी के दोनों छोटे बेटे जोरावरसिंह (9 वर्ष) तथा फतेसिंह (7 वर्ष) उसके पास हैं। सूबा सरहिन्द ने दोनों बच्चों को अपने कब्जे में लेकर कत्ल का आदेश दे दिया।
• मुगलराज की स्थापना में बाबर का सबसे बड़ा सहयोग करने वाला हिन्दू ब्राह्मण वजीर रेमीदास था जिसने बाबर को उत्तर भारत की पूरी जानकारियां दीं, जो एक बहुत ही बुद्धिमान् और चतुर आदमी था। 
• इसी प्रकार गजनी की सेना में तिलक नाम का हिन्दू ब्राह्मण था जिसने भारतवर्ष के मन्दिरों की पूरी जानकारियां देकर इनको गजनी के हाथों लुटवाया।
• फिर पेशवा ब्राह्मणों ने छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी को औरंगजेब की कैद में डलवा दिया। फिर शिवाजी महाराज के मरने के बाद पेशवा ब्राह्मणों ने उनका राज हड़प लिया।
• फिर एक बाजीराव पेशवा (ब्राह्मण) हुआ जिसको ब्राह्मण महान कहते फिरते हैं लेकिन उसको देख कर सुंदर औरतें आत्महत्या कर लेती थी ताकि उससे बच सकें।
• 1857 की क्रांति में ब्राह्मण गंगाधर कौल क्रांतिकारियों की मुखबरी करके अंग्रेजों की सेवा करता रहा। इसने राजा नाहर सिंह को फासी दिलवाने में कोई करस नहीं छोड़ी। और इसी का सगा पौत्र पंडित नेहरू देश का प्रथम प्रधानमंत्री बना।

यह तो बस कुछ एक उदाहरण थे अगर कोई इतिहास का अध्ययन करें तो पता चले इतिहास तो इन गद्दारों की गद्दारियों से भरा पड़ा है।

जालाराम

बागपत प्रकरण

#बागपत_गांव_बासौली_प्रकरण
SAME - मुजफ्फरनगर वाला कांड हैं
ℹ  ( कश्यपो ) की चक्की थी, हाडा पिसान आये जाट के साथ किसी बात को लेकर बहस और बदतमीजी हो गई जिसके बाद उस जाट भाई के घर कुणबे के लोग आ गए और सामने वाली पार्टी ने जाटो पे पथर व डंडो से हमला कर दिया जिसमे जाटो ने अपनी साइड से फायर खोल दिये जिसमे सामने वाली पार्टी का एक बंदा मारा गया मामला सांत हो गया..!! जिसके कुछ देर बाद वहा से दुसरे गाव के दो जाट गुजर रहे थे उम्र 15 से 16 जिनका उस लडाई से कोई लेना देना ही नहीं था #सचिन और #गोलू - सोप और दोघट गाव के थे , बसौली गाव में उन दोनो जाट भाईयो को मार दिया जाता हैं जिसके बाद सत्ता रूडी जाट विरोधी सरकार व नेता उल्टा सिर्फ जाटो पर केश लगा रहे हैं गोलू और सचिन की FIR तक भी नही ली गई....!!  अब सचिन और गोलू के परिवार पर एआईआर न करने का दवाब बनाया जा रहा है , वहीं कश्यप पक्ष की तरफ से एक आदमी विडियो  में इंटरव्यू  देकर समस्त भारत के जाटों के आंतकवादी कहता है, और जाटों को देश से निकालने के लिये  प्रधानमंत्री   से निवेदन  करता है,  फिर भी कोई कार्यवाही  नहीं होती  उस पर  ! !

🔰 प्रशान के हालात जाटो के खिलाफ मुजफ्फरनगर 2013 वाले ही होते जा रहे हैं - अब बागपत वालो के हाथ बात हैं करना क्या हैं , बाकी मेरा मानना ये हैं अगर कोई हमारी सुनता नहीं हैं थाने और सरकार में और दुसरा समाज हमारे खिलाफ एकजुटता दिखाता हैं तो सामणे वाली पार्टी का चाहे जो धर्म हो मतलब नी हैं फाड के फेक दो सेम मुजफ्फरनगर की तरह - यो लडाई झगडा मार काट न सपोर्ट करने में तम मुझे पागल कह सकते हो भाइयो पर हां भाई में हु पागल जिस जिस छेत्र में अपने सिर त उपर पानी हो फाड के फेक दो अपनी या ही प्रवर्ती हैं ...!! 

🔰 बाकी उन ही लोकदल वालो स बात हुई हैं तडकी जिन्हे लोग बे खामति गाली दिये जाते हैं वे ही दबाव बनाके के FIR दर्ज करवाने मैं लगे हुए पर पका नही हैं हो जाए FIR , हमारे जाट समाज को भी इखटा होना पडेगा , साथ दो भाइयो ना तो या सरकार जाटो की अनसुनवाई करके बागपत का मुजफ्फरनगर बनावाने की और अग्रसर हैं 

🔜- - > क्योकी या जाट कौम है या मरती क्या नी करती पास्ट फ्यूचर की सैकडो कहानी हैं , हर समाज को समझ लेना चाहिए अतंकी को बैर हैं , कानूनी कार्रवाई हो लेने दे सरकार व दुसरा समुदाय नहीं तो बीच मैं अडंगा अटकाण का रिजल्ट मुजफ्फरनगर 2013 सबके सामने हैं हमारे लिए कोई जाति कोई धर्म मायने नहीं रखता जो हमारे साथ चुटकी लेने की कोशिश करेगा बराबर डोज मिलेगी..!!

भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।**भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।

*भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।**भारतीय समाज पंडितों का, पंडितों द्वारा,पंडितों के लिए है।*
 इन्हीं पंडितों ने अतीत में अपनी सुविधा के लिए इस समाज का  विभाजन ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र वर्ण के रूप में किया।भारतीय समाज में मानव जीवन के हर कार्य से पंडिताई जुड़ी हुई है।  यहां व्यक्ति का खान-पान,रहन-सहन,उठना-बैठना,सोना-जगना,आना-जाना सब पंडित तय करता है। अर्थात जैसे कि खानपान को ही ले लें... किसी समय,तिथि,वार इत्यादि पर क्या-क्या खाना-पीना शुभ अथवा अशुभ है।

यही वजह है कि, यहां अतीत का सबसे बड़ा हत्यारा जिसने पूरी पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से खाली कर दिया। अपनी मां तक की हत्या कर दी।  फिर भी पंडित वर्ग से होने के कारण भारतीय समाज उस को भगवान मानने को मजबूर है।

 आज के आधुनिक युग में भी भारतीय राजनीति धर्म अर्थव्यवस्था और यहां तक कि शासन-प्रशासन सभी पंडितों के इर्द-गिर्द ही काम करते हैं। यदि विज्ञान के इस युग में कोई किसी बड़े प्रोजेक्ट के शुभारंभ में होने वाली पंडिताई पर कुछ भी बोल दे तो  पंडिताई पर सवाल करने मात्र से राष्ट्र अथवा संस्कृति विरोधी घोषित किया जा सकता है। यही वजह है कि हमारे देश में केवल अंधविश्वास और पाखंड का समर्थन करने वाले ही देशभक्त कहलाते हैं...

शिवनारायण इनाणियां भाकरोद

 इन्हीं पंडितों ने अतीत में अपनी सुविधा के लिए इस समाज का  विभाजन ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र वर्ण के रूप में किया।भारतीय समाज में मानव जीवन के हर कार्य से पंडिताई जुड़ी हुई है।  यहां व्यक्ति का खान-पान,रहन-सहन,उठना-बैठना,सोना-जगना,आना-जाना सब पंडित तय करता है। अर्थात जैसे कि खानपान को ही ले लें... किसी समय,तिथि,वार इत्यादि पर क्या-क्या खाना-पीना शुभ अथवा अशुभ है।

यही वजह है कि, यहां अतीत का सबसे बड़ा हत्यारा जिसने पूरी पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से खाली कर दिया। अपनी मां तक की हत्या कर दी।  फिर भी पंडित वर्ग से होने के कारण भारतीय समाज उस को भगवान मानने को मजबूर है।

 आज के आधुनिक युग में भी भारतीय राजनीति धर्म अर्थव्यवस्था और यहां तक कि शासन-प्रशासन सभी पंडितों के इर्द-गिर्द ही काम करते हैं। यदि विज्ञान के इस युग में कोई किसी बड़े प्रोजेक्ट के शुभारंभ में होने वाली पंडिताई पर कुछ भी बोल दे तो  पंडिताई पर सवाल करने मात्र से राष्ट्र अथवा संस्कृति विरोधी घोषित किया जा सकता है। यही वजह है कि हमारे देश में केवल अंधविश्वास और पाखंड का समर्थन करने वाले ही देशभक्त कहलाते हैं...

शिवनारायण इनाणियां भाकरोद

बुधवार, 3 जून 2020

Petition File in Supreme Court Against Pension To Politicians

Petition File in Supreme Court Against Pension To Politicians

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अब नेताओ की खैर नही सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है, इसे आपके आकलन के लिए भेज रहे है .. प्रिय / सम्मानित भारत के नागरिकों... आपसे इस संदेश को पढ़ने का अनुरोध किया जाता है और अगर सहमत हैं,तो कृपया अपनी संपर्क के सभी लोगों को भेजे और बदले में उनमें से प्रत्येक को भी आगे भेजने के लिए कहें। तीन दिनों में, पूरे भारत में यह संदेश होना चाहिए। भारत में हर नागरिक को आवाज उठानी चाहिए__2018 का सुधार अधिनियम__ - सांसदों को पेंशन नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि राजनीति कोई नौकरी या रोजगार नही है बल्कि एक निःशुल्क सेवा है। - राजनीति लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत एक चुनाव है,इसकी पुनर्निर्माण पर कोई सेवानिवृत्ति नहीं है,लेकिन उन्हें फिर से उसी स्थिति में फिर से चुना जा सकता है। (वर्तमान में उन्हें पेंशन मिलती है सेवा के 5 साल होने पर)। इसमें एकऔर बड़ी गड़बड़ी यह है कि अगर कोई व्यक्ति पहले पार्षद रहा हो,फिर विधायक बन जाए और फिर सांसद बन जाए तो उसे एक नहीं,बल्कि तीन-तीन पेंशनें मिलती हैं।यह देश के नागरिकों साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है जो तुरंत बंद होना चाहिए। - केंद्रीय वेतन आयोग के साथ संसद सदस्यों सांसदो का वेतन भत्ता संशोधित किया जाना चाहिए और इनको इनकम टैक्स के दायरे में लाया जाए। (वर्तमान में वे स्वयं के लिए मतदान करके मनमाने ढंग से अपने वेतन व भत्ते बढा लेते हैं और उस समय सभी दलों के सुर एक हो जाते हैं। - सांसदों को अपनी वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली त्यागनी चाहिए और भारतीय जन-स्वास्थ्य के समान स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में भाग लेना चाहिए। इलाज विदेश में नही भारत मे होना चाहिए इनका,अगर विदेश में करवाना है तो अपने खर्च से करवाएँ,अन्यथा मर जाएँ। मुफ्त छूट,राशन,बिजली,पानी,फोन बिल जैसी सभी रियायत समाप्त होनी चाहिए। (वे न केवल ऐसी बहुत सी रियायतें प्राप्त करते हैं बल्कि वे नियमित रूप से इसे बढ़ाते भी रहे हैं) - अपराधी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोका जाए, संदिग्ध व्यक्तियों के साथ दंडित रिकॉर्ड,अपराधिक आरोप और दृढ़ संकल्प, अतीत या वर्तमान को संसद से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, कार्यालय में राजनेताओं के कारण होने वाली वित्तीय हानि,उनके परिवारों,नामांकित व्यक्तियों,संपत्तियों से वसूल की जानी चाहिए। - सांसदों को भी सामान्य भारतीय लोगों पर लागू सभी कानूनों का समान रूप से पालन करना चाहिए। - नागरिकों द्वारा एलपीजी गैस सब्सिडी का कोई समर्पण नहीं जब तक सांसदों और विधायकों को उपलब्ध सब्सिडी,संसद कैंटीन में सब्सिडी वाले भोजन,सहित अन्य रियायतें वापस नहीं ले ली जाती। -संसद में सेवा करना एक सम्मान है,लूटपाट के लिए एक आकर्षक करियर नहीं। -फ्री रेल और हवाई जहाज की यात्रा की सुविधा बंद हो। आम आदमी क्यो उठाये इनकी मौज मस्ती का खर्च यदि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम बीस लोगों से संपर्क करता है तो भारत में अधिकांश लोगों को यह संदेश प्राप्त करने में केवल तीन दिन लगेंगे।क्या आपको नहीं लगता कि यह मुद्दा उठाने का सही समय है ? यदि आप उपर्युक्त से सहमत हैं, तो इसे जन जन तक पहुंचाए।  
धन्यवाद।
 जयहिन्द,वन्देमातरम्...🙏

Riya mavi केदारनाथ

बताया गया कि यह एक किसान परिवार की बेटी है और दयानंद ने जिस तरह जाटों का उद्धार किया है वैसे ही यह गुर्जरों का उद्धार करने को पैदा हुई है!

इसने ललाट पर चंदन का मिश्रण लगा करके केदारनाथ में जाकर वीडियो डालकर बहुत बड़ी क्रांति का आगाज किया है!

कबीर पत्थर के हमले झेलकर निपटा दिए गए मगर वीडियो फेसबुक पर डालकर बहुत बड़ी क्रांति का आगाज कर दिया गया है बहन द्वारा!

अब वीर नहीं वीरांगनाएं क्रांति का आगाज कर ही है!सचमुच में भारत बदल रहा है!

पहले किताबें लिखकर कटप्पा ने क्रांति का आगाज किया था और अब वीडियो डालकर कटप्पा की बहने क्रांति का फीता काट रही है!

धर्म के चमचों,जातियों के चमचों के लिए मान्यवर कांशीराम जी ने किताब लिखी थी "The chamcha age"!1982 में!

सबरीमाला मंदिर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हमारी वीरांगनायें क्रांति की जंग लड़ रही है।एक कोई मुम्बई की दरगाह में भी भारी क्रांति हो रही है!

कभी सोचा!जहां जाने में कोई फायदा नहीं उसके लिए ये क्रांतियां क्यों हो रही है?चौधरी छोटूराम की प्रेरणा से बोर्डिंग-स्कूल बने थे,बाबा साहब की प्रेरणा से हमने देवालयों के बजाय विद्यालयों का रास्ता चुना था।

ये मंदिर प्रवेश आंदोलन करने वाले,पूजा में गैर-बराबरी दूर करने के लिए लड़ने वाले वीर-वीरांगनाएं कौन है और कहां से आकर बीच-बीच मे भ्रांति की क्रांति करने की गफलत फेंक जाते है?

खूब लड़ी मर्दानी यह तो चंदन वाली मासी थी.....!

सामान्य ज्ञान